शुक्रवार, 9 नवंबर 2012

नेता

मैने आज एक शख्स को नेता कह दिया , भाई ने पलट कर मेरे गाल पर दो तमाचा जड़ दिया , चीख कर बोला ''साले तुझे मै नेता नजर आता हूँ'' , क्या मै विकंलागो का यंत्र बेच खाता हूँ , कब मैने शहीदो के मकान पर कब्जा जमाया है , किसी नाबालिग लड़की को धोखे से शिकार बनाया है , कब मैने अपने वारिस को नाम देने से इंकार किया है जो तुने मेरे लिए नेता नाम लिया है , कब मैने जानवरो का चारा खाया है और कब लोगो को धर्म के नाम पर लड़वाया है , मै तो आम आदमी हूँ जिसकी जिंदगी का फैसला ये नेतागण करते है , ये एसी रुम मे बैठकर जीते है और हम ऐसी बेकार की मौत मरते है ।

THINK हटके - “गुरुजी “

THINK हटके

THINK हटके: हे राम

THINK हटके: हे राम

हे राम


देश के एक तथाकथित ज्ञानी और प्रख्यात वकील राम जेठमलानी ने बयान दिया है की '' श्री राम भगवान एक बुरे पति थे , उन्होने किसी और के कहने पर सीता को छोड़ा '' , भगवान राम के नाम पर वोट बटोरने वाली पार्टी का कोई सदस्य इस तरह का बयान दे तो भगवान को समझ जाना चाहिए की इन्हे और ज्यादा दिनों तक सत्ता से दूर रखना ठीक नही है और इन्हे सत्ता दे दि जाए वरना जो आरोप लगाए गए है उसे ये कोर्ट मे भी ले जाऐगे और OMG फिल्म की तरह उनको '' अग्नि परीक्षा '' देने नीचे आना पड़ेगा ताकि लोगो मे आपकी आस्था बनी रहे , हे प्रभु , कैसे दिन आ गये है कभी अपने सीता मईया को अग्नि परीक्षा के लिए विवश किया था और आज आपके ही नाम वाले शख्स ने आपको इसी बात के लिए मजबूर किया है , उम्मीद है आप साबित करेंगे की आप अच्छे पति है . आपके ही बनाए लोग आप पर उंगली उठाने लगे है प्रभु , सोचिए और प्लीज इस बार चुप मत रहिए आपकी खामोशी ने ही मंदिर मस्जिद का धंधा चालू करवा दिया वरना रह तो आप लोगो के दिलों मे भी सकते थे पर नही, आप तो बड़े बड़े मंदिरो मे विराज गए आप पर लडडू, मेवे और सोने चाँदी की बरसात होने लगी और आपका ही नाम लेने वाले लोग आपके चौखट पर बैठकर भिखारी के नाम से जाने जाने लगे , बहुत जगह है भगवान आपके पास , थोड़ी सी रहने की जगह उन्हे भी दे दिजिए और प्लीज अब मनमोहन सिंह की खामोशी बने मत बैठिए और सैंडी , नीलम कि तरह किसी भी रुप मे नीचे आइए , लेकिन हाँ निशाना अर्जुन की तरह अचुक होना चाहिए क्योंकी आपका निशाना बड़ा कमजोर है, इसकी शिकायत तो मुझे भी है , संसद भवन तो उपर से दिखता होगा न , शीतकाल सत्र मे थोड़ा देख लेना मालिक और कुछ ईमानदार लोगो को बचा भी देना ताकि हम फिर आपका नाम ले कर कह सके '' जाको राखे साईंयां , मार सके न कोय ''.....जय श्री राम 

मंगलवार, 6 नवंबर 2012


                                         गुरुजी 


दोपहर मे ठीक 1 बजे एक अनजान नंबर से काँल आया और उसने अभिवादन के बाद कहा - आपके फेसबुक एकांउट से आपका नंबर मिला , आपके लिए एक बड़ी न्यूज है ये कहकर उसने एक सनसनीखेज खबर दी   सर , हमारे गाँव के स्कूल मे शिक्षाकर्मी रोज बच्चों के साथ बैठ कर मध्यान्ह भोजन खाते है अगर आप रिपोर्टर और कैमरामैन भेज दे तो इनका लाइव टेलीकास्ट कराया जा सकता है “  मैने उसे बताया कि मै टेक्नीकल पोस्ट पे हूँ फिर भी उपर बात करुँगा  कहकर काँल रखा और रखते ही मुँह से अनायास उसके लिए दो गालियाँ निकली. मै हैरान हूँ कि लोगो को कितना ज्यादा न्यूज सेंस हो चुका है उन्हे कितने अच्छे से पता है कि कैसी खबरे ब्रेकिंग न्यूज होती है और उसे कितना विश्वास था मीडिया पर कि उसका काँल आते ही हम सीधा प्रसारण दिखाने पहुँच जायेगें . अब बात उस घोर अपराध की जो वो शिक्षाकर्मी कर रहे है , वो बच्चो का खाना खा जा रहे है .....तो मन किया ये जानने का कि आखिर उस खाने का मेनू क्या होता है ...पता चला कि चावल दाल आचार ही अधिकांशत : दिया जाता है और कभी कभी मीठे के नाम पर एकाध लडडू , तो ऐसा लगा ये तो बहुत बड़ी बात है और इसके लिए तो उन्हे कठोर सजा मिलनी चाहिए शायद आजीवन कारावास जैसी . क्यूँकी जिस देश मे करोड़ो के घोटाले शिक्षको के पढ़ाए शिष्य कर रहे है वहाँ ये अज्ञानी गुरुजी 10-20 का खाना खाकर बदनाम हो रहे है कुल मिलाकर इन्हे कुछ आता ही नही और इन्होने अपने उन तथाकथित छात्रों को कुछ सिखाया ही नही है ये करोड़ो के घोटाले का ज्ञान तो उन्हे किसी और पाठशाला से ही हासिल हुआ है ..... जहां स्नातक, स्नातकोत्तर, डीएड , बीएड और टीइटी जैसे परीक्षा उत्तीर्ण करके युवा शिक्षाकर्मी बन रहे है और गाँव देहात मे जाकर चपरासी से भी कम तनख्वाह पर नौकरी कर रहे है वहाँ इनका इस तरह खुलेआम भ्रष्टाचार मचाना बिल्कुल बर्दाशत नही किया जा सकता इसका हक तो केवल पाँचवी दसवी पास नेता या चपरासी या स्नातक पास बाबूओं को ही है .... पढ़ा लिखा शिक्षक ये काम कैसे कर सकता है उसका काम तो संस्कार देना और राष्ट्र निर्माण करना है भले ही उसके घर चुल्हा जले या न जले , उसकी माँ के पास दो जोड़ी नयी साड़ी हो या न हो , उसके पास दो कमरे का मकान हो या न हो पर उसका भ्रष्टाचार कतई बर्दाशत नही किया जा सकता .... उनका ट्यूशन पढ़ाना भी गलत है क्यूँकी आप शिक्षा का व्यापार नही कर सकते इसके लिए तो हमने बड़े बड़े कोचिंग इंस्टीट्यूट वालो को ठेका दिया है और इस काम का काँपीराइट उन्ही के पास है फिर ये काम आप कैसे कर सकते है ...आप तो सिर्फ एक काम किजिए अपनी तनख्वाह एक साथ चार चार महीनों बाद लिजिए और ऐश किजिए , दिवाली दशहरा आपके लिए नही है ...आपको सरकार इतनी छुट्टियाँ जो देती है और क्या चाहिए अब क्या सरकार की जान लोगे क्या ?  ऐसे भी ये छुट्टिया देकर सरकार पब्लिक की नजर मे बुरी बनती है , ये छुट्टियाँ बच्चो के लिए थोड़े दी जाती है ये तो आपको दी जाती है ताकि आप घर मे रहकर आराम करे और फिर से इन सब अन्यायों को सहने लायक बन सके ....और अगली बार अगर खाना खाते पाए गए तो ये ठेका भी प्रधान पाठक से छीनकर किसी पाँचवी ठेकेदार को दे देंगे क्योकी तुम पढे लिखे लोग साला भ्रष्टाचार ज्यादा फैलाते हो और वो भी बिना लाइसेंस के ........................ – विवेक दुबे

रविवार, 4 सितंबर 2011

साससास

बहू को जिंदा जलाने मे क्या मजा है , ये एक सास ही बता सकती है ।
जिंदा किसी लड़की पर ये ही आग लगा सकती है ।
ये एक सास ही भूल सकती है की वो भी एक नारी है , फिर भी कितनी अत्याचारी है .
बहू के आँसूओ पर हँसी उसे आती है और बेटी की रोनी सूरत आंख उसकी भर जाती है ।
ये एक सास ही हो सकती है जिसे बहू और बेटी मे इतना फर्क नजर आता है की एक इनके हाथों से अमरित तो दूसरा जहर पाता है ॥

शनिवार, 3 सितंबर 2011

राधा और सुदामा

31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की हत्या हुई , देश मे दंगे हुए और इन्ही दंगो के दौरान 4 नंवबर 1984 को मेरा जन्म हुआ । यही कारण है की भगवान ने मुझे जल्दबाजी मे बनाकर फेंक दिया और मै ताउम्र इंदिरा गांधी को कोसता रहा की थोड़ा लेट नही मर सकती थी ।

बचपन से ही मै स्कूल कार्यक्रम मे कृष्ण का रोल पाना चाहता था पर ब्राम्हण था तो सालों को मै सुदामा के रोल के लिये ही उपयुक्त नजर आता था । ये बात और है की इस कलयुग मे कई बार राधा कृष्ण के बजाय सुदामा से ही फंसती थी , क्योकी भिक्षा के पैसों का चाट गुपचुप सुदामा ही खिलाता था और बदले मे राधा को जी भर कर निहारा करता था ।

मै बचपन से ही सौदर्य का मारा था, इसलिये शादियों मे जाना और लड़कियो को जी भरकर निहारना, मेरा पंसदीदा काम था , मेरे पास इसके लिये एक तर्क भी था की आंखे कमजोर न हो इसलिए विटामिन A ले रहा हूं , कई बार ऐसा भी हुआ की लाजवाब पकवान की जगह मैने विटामिन A को तरजीह दी और जब पकवान का मजा लेने जाता, तो खाली बर्तन मुझे चिढ़ा रहे होते फिर मै घर आकर मम्मी के मुँह से गालियों के साथ सुबह के चावल का मजा लेता और अगली सुबह जब मेरी बहन पूछती की कल शादी मे कैसा इंतजाम था और क्या खाया तूने तो मेरा जवाब होता “ फ्राई राईस विथ अचार “ , वो कभी नही समझ पाती की आखिर य़े कैसा इंतजाम था । मुझे बचपन से ही ये गलतफहमी थी की शादी घर मे सब मेरे लिये ही तैयार हो कर आई है और ये भ्रम मैने कभी टूटने भी नही दिया ।

मै बचपन से ही एक लक्ष्य वाला था इसलिये जिसे भी देखता उसे तब तक देखता जब तक वो मुझे न देख ले और खुदा गवाह है इस बात का मैने कभी भी जाति-धर्म, ऊँच-नीच, अमीर-गरीब को तरजीह नही दी, जिसने भी गलती से एक बार मेरी ओर देख लिया उसे मैने तब तक देखा, जब तक उसने मुझे आँखो ही आँखो मे ये न कहा की “ क्या देख रहा है बे ” या पार्टी छोड़कर चली न गई ,उसके जाने के बाद मै खुद को समझा लेता की बेचारी को जल्दी थी इसलिये चली गई नही तो ध्यान तो पूरा दे रही थी । सिलसिला जारी है बस छोटा सा विराम है और इंतजार है तो तुलसी विवाह का.............................................