मंगलवार, 30 अगस्त 2011

तुमको न भूल पाएगे

डियर....
पोथी पढ़ पढ़ जग मुआ, पंडित भये न कोय
और ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय ।।
जानू, तूने जिंदगी में जितने पल मेरे साथ बिताए उस हर पल में तूने जिंदगी की कड़वी सच्चाई मेरे सामने लाई ।
समय का क्या महत्व है ये मैंने तब जाना जब मैं तेरे स्कूल जाने और लौटने का इंतजार करते घण्टों बैठै रहता था. और तू मुझसे आँख मिचौली करते हुए पीछे वाली गली से अपने घर घुस जाया करती थी. उस समय से ही मैं जान गया था कि लुका छुपी तेरा पसंदीदा खेल है जो तू आजकल अलग अलग लोगों से खेल रही है ।
समय के साथ साथ तूने पैसे का महत्व भी मुझे सिखाया. क्योंकि मैं तेरे उन दिनों का साथी हूँ जब तेरी नाक बहती रहती थी और तू अक्सर फ्राक से ही काम चला लिया करती थी. तब मैंने अपना गुल्लक तोड़कर तेरे लिये रुमाल खरीदा था पर कभी मेरे रुमाल को प्यार से अपने नाक पर लगाने वाली आज उस नाक पर गुस्सा लेकर मेरी ओर देखती है. तेरे लिए ग्रीटिंग कार्ड , गिफ्ट्स, डायरी से लेकर सूट तक मैंने खरीदा है. और आज तू कहती है कि मैं तेरे साथ सूट नहीं करता ।
तेरी सहेलियाँ जिसे तू मुँह बनाकर MY BEST FRIENDS कहकर INTRODUCE कराई थी वो सब एक नंबर की भुख्ख़ड़ है, सालियों ने पता नहीं कितने बार मुझे जीजा जी बनाकर अपने पेट पूजा का इंतजाम करवाया है. और अपने घर समोसे तक न ले जाने वाला ये हीरो उन्हें सैण्डविच, पेस्ट्री, पिज्जा और हाँट डाग तक खिलाया है. और मैं मीठे को कैसे भूल सकता हूँ. मीठे के नाम पर 75 रूपए के आइसक्रीम खाती थी तेरी सहेलियाँ, जिन्हे घर में पाँच रूपये का गुपचुप और पाँच रूपये का कोन वाला आइसक्रीम नसीब नही होता है.
पढ़ाई लिखाई से कुछ नहीं होता और जुगाड़ ही सब कुछ है. ये शाश्वत सत्य भी मैंने तुझसे ही जाना. जिस तरह तू फेल हो होकर भी नित नए परचम लहराती रही और तेरे कद्रदानों की संख्या बढ़ाती रही. उससे मुझे काफी प्रेरणा मिली.
लेकिन जाने अंजाने में तूने मुझे बहुत बड़ी सच्चाई भी सिखा दी. कि फैमिली ही सबकुछ है. क्योंकि जब मैं तेरे चक्कर में पिट पिटाकर कहीं से आता तो तू मुझसे ऐसे ही पलड़ा झाड़ती थी जैसे कपिल सिब्बल से अभी कांग्रेस ने झाड़ लिया है. और क्या रे , तू क्या मुझे गदर फिल्म का सन्नी देओल समझती थी जो रोज अलग अलग लोगों से लड़वाती थी . अरे पगली ओरिजिनल लाइफ में हीरों गुण्डों को उछल उछल कर नहीं मारते बल्कि गुण्डे हीरो को घसीट घसीटकर मारते हैं. और ऐसी ऐसी जगहों पर मारते हैं कि दवाईयाँ लगाना भी मुश्किल हो जाता है.
तूने मुझे जिंदगी में इतना सुख दिया है कि गम और दर्द जैसे शब्द मुझे कुछ लगते ही नहीं. पर सुख झेलने की भी एक सीमा होती है और अब तो यह इतना अधिक बढ़ गया है की कभी कभी आँखों में आँसू आ जाते हैं. तो प्लीज़ अब इस खेल को यहीं बंद करते हैं और इस पत्र को तू फाड़कर फेंक देना. संभालकर मत रखना. क्योंकि जिस गिफ्ट को तू संभालकर रखने का वादा करती है वो आज मेरे जन्मदिन के शुभ अवसर पर (जो तुझे याद भी नहीं है ) एक करीबी दोस्त के ज़रिये गिफ्ट के रूप में आया और मुझे यकीन है बाकी गिफ्ट भी धीरे धीरे इसी तरह वापस आ जाएंगे.
अंत में तूने आज तक मुझे जो कुछ नहीं दिया है उसके लिए मैं तेरा जीवन भर आभारी रहूँगा.

तुझे सादर वंदन ... नंदन.....अभिनंदन.
तुम्हारा.....................


ab reply to dekho madam jee ka

डियर ......
एक ढूढों हजार मिलते है , ये किसी ने सच ही कहा है ।
तुमने अपने पत्र मे कुछ बातें लिखी थी जिन्हे पढकर मुझे अपने सौन्दर्य, ताकत और ज्ञान का बोध हुआ , तुम जब स्कूल से लौटते समय मेरा इंतजार घंटो घंटो करते थे तभी मै जान गयी थी की तुममे एक अच्छा चौकीदार बनने के सारे गुण मौजूद है क्योकी इतने इंतजार के बावजूद जैसे ही मै तुम्हे नजर आती थी और तुम दाँत निपोर कर सामने खड़े हो जाते थे तो ऐसा लगता था मानो “ सलाम मेमसाब “ कह रहे हो , कसम से ऐसा लगता था की खींच के एक झापड़ लगाऊ पर क्या है न मुझे अपनी अच्छी TRP जो मोहल्ले के लड़को के बीच मे थी, खोनी नही थी , और तुम जब अपना गुल्लक फोड़ कर रुमाल खरीदने मेरे साथ गऐ थे तो तुम्हारे पास 10-10,20-20 पैसे के चिल्हर देखकर ऐसा लग रहा था मानो कोई मंदिर के बाहर खड़ा हो कर आया हो या शव य़ात्रा से पैसे बीनकर लाया हो फिर भी मेरी भलमनसाहत देखो मैने सोचा गरीबों को भी प्यार पाने का हक है ।
और मेरी सहेलियाँ तुम्हे सामने जीजा जी और पीछे लल्लु उल्लू कहकर पुकारती थी क्योकी जब वो तुम्हे जीजा जी कहती थी तो तुम्हारी आंखे कसम से उल्लू की तरह की तरह चमकने लगती थी ऐसा उन्होने बताया है और शुक्र मनाओं उनका जो उन्होने तुम्हे पेस्ट्री , सैंडविच और हाँट डाँग खाने का मौका दिया वरना मै जानती हूँ की आज भी तुम्हारी पहली पसंद पिपरमेंट , नड्डा और पारले जी बिस्किट ही है , मेरी सहेलियों ने तुम्हारा स्टैंडर्ड बढ़ाया अहसान मानो उनका
जब तूम लाल टी शर्ट पहन कर मुझसे मिलने आये थे सच मे दूर से किशन कुमार और पास से राजपाल य़ादव लग रहे थे तुम्हे एक फ्री की सलाह है टी शर्ट पहनना छोड़ दो क्योकी ऐसा लगता है मानो किसी ने हैंगर पर कपड़ा लटका कर छोड़ दिया हो और जब तू जानता था की तू बचपन से ही कुपोषण का शिकार है तो मेरी रक्षा करने के वादे क्यूँ करता था पता है तेरे पिटने की खबर मुझे ऐसी मिलती थी जैसे बीबीसी न्यूज ने ब्रेकिंग न्यूज मारी हो , वो लड़के जब तुझे लिटा लिटाकर मारते थे तो तू साले फिल्मी हीरों की तरह मेरा नाम लिया करता था न , पर ये रीयल लाइफ है हीरो , यहाँ एक्शन सीन ऐसे ही फिल्माये जाते है ।
और रही बात तेरे गिफ्टस की तो वो मुझे तेरे दोस्तो ने बता दिया है की तू उसे दूसरो से आधे दाम पर खरीदकर मुझे दुगने दाम का लेवल चढ़ाकर दिया करता था तभी मै जान गयी थी की ये प्रोडक्ट मीना बाजार टाइप के क्यूँ लगते है और तूझे शर्म नही आती की SECL की डायरी मुझे FRIENDSHIP के दिन गिफ्ट किया करता था की इसमे अपनी दिल की भावना लिखना , ले लिखकर तुझे ही वापस कर रही हूँ ।
और जब तू मुझसे पहली बार मिलने आया था तो लूना लेकर आया था और क्या कहा था की “मेरा पहला प्यार........LUNA TFR ” अबे लूना लेकर जाये तो काम वाली बाई न बैठे और तू मुझे उसपे घूमाना चाहता था । कसम से तूझ जैसा PIECE दूसरा नही है , ULTIMATE है तू ।
अब बैठ कर कैलकुलेशन करना की तूने क्या पाया है और कितना कम खोया है और अब मेरा मुँह मत खुलवा
तूझे भी सादर वंदन , नंदन , अभिनंदन

तुम्हारी
.........................................

बुधवार, 24 अगस्त 2011

दोस्ती

 ये दौलत भी ले लो , ये शोहरत भी ले लो , भले छीन लो मुझसे मेरी जवानी ।
मगर मुझको लौटा दो बचपन का सावन , वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी ।।

जगजीत सिंग के ये बोल पिछले कुछ दिनों से लगातार मेरे कानों मे गूंज रहे है । मेरे पास आज वो सब कुछ है जो एक व्यक्ति को खुशहाल जीवन बिताने के लिए चाहिए पर पता नही क्यूँ कुछ अधूरापन सा है , बहुत सोचने के बाद एहसास हुआ की जिनके साथ मिलकर इन सब चीजों का मजा लेने का सोचा था वे तो है ही नही , कोई रायगढ़ मे प्लांट मे जान दे रहा है तो कोई कोरबा मे धूल खा रहा है , कोई दिल्ली मे काम के दबाव मे रोबोट बन बैठा है तो कोई मुबंई मे इमारतों का जाल खड़ा करने मे लगा है , कभी साथ बैठकर सपने बुनने वाले हम सब आज जिंदगी की उधेड़बुन और कश्मकश मे इतनी बुरी तरह उलझ गए है कि चाह कर भी खुद के लिए कुछ पल नही निकल पा रहे है । एक दौर था जब जेब मे पैसे नही थे , पास मे गाड़ी नही थी पर फिर भी सुकुन था ।

आज भी याद है वो पल जब हमारे ग्रुप का कोई मेम्बर अपनी किसी खास से मिलने कैफेटेरिया जाता था तो हम सब मिलकर पैसे जमा करते थे और  5-5, 10-10 रुपये मिलाकर 100 के आकड़े को मुश्किल से छू पाते थे लेकिन जब वह बंदा लौटकर हमे बताता था की मैने अपनी खास को ये खास आईटम खिलाया तो ऐसा लगता था मानों सभी ने उस व्यंजन का मजा ले लिया हो , ये वो दौर था जब अपने इलाके के हर छोटे-मोटे होटल मे हमारे नाम से उधारी चलता था और जब कोई बुजुर्ग हमे समझाता की उधारी की आदत ठीक नही है तो हम पलट कर कहते थे कि पूरी भारत सरकार कर्जे मे डूबी हुई है , हमने 50-100 रुपये उधार कर लिया तो क्या गुनाह कर दिया ।

कुछ समय गुजरा और 10th तक पहुँचते पहुँचते कुछ भाईयों को लवेरिया  नामक बीमारी ने पकड़ लिया तब हमे मालूम चला की दुनिया मे कैंसर-वैंसर कुछ नही है सबसे बड़ी बीमारी तो लवेरिया है , जिसे समझाने की कोशिश की वो हमसे दूर होता चला गया तब हमें लड़कियो की ताकत का एहसास हुआ ।
लड़किया हमसे भी इम्प्रेस थी क्यूंकी स्कूल मे हमारा एकछत्र राज था और कई बार विवाद की स्थिति मे हम ही फैसला सुनाते थे की कौन किसके पीछे पड़ेगा , लड़कियो को स्कूल के बाहर के लड़को से सुरक्षा देने का ठेका भी हमारा ही था जिसने कई विश्वयुद्ध कराये और लड़कियो मे हमारी पैठ बनायी . धीरे से हममे भी उस बीमारी के लक्षण पाये गए और उन समस्त लोगो को मुँह खोलने का मौका मिल गया जिन्हे कभी हमने ज्ञान दिया था , इसका परिणाम भी जल्द आया और 12th  के रिजल्ट ने हमारे कैरियर पे दाग लगाने पे कोई कसर नही छोड़ी , तब जाकर एहसास हुआ की जीवन उतना सरल नही है जितना हम कभी सोचते थे वरना कभी नायक नही खलनायक हूँ  मै   जैसे गानो पर झूमते हुए हमने सचमुच खलनायक को नायक से बड़ा मान लिया था . उस समय हम गर्व से कहते थे की इस शहर मे हमारा ग्रुप ही राज करेगा । पुलिस भी हममे से ही होगा और चोर भी , नेता भी हममे से ही होगे और अभिनेता भी . पर आज उस छोटे से प्यारे शहर मे कोई भी अपना नही बचा , रोजी रोटी की जुगाड़ मे सभी ने अलग-अलग पाँव जमा लिए ।
हमारी दोस्ती इतनी गहरी  थी की 5 लोगो ने मैथ्स लेने का प्लान किया तो 15 लोगो ने मजबूरी मे दोस्ती निभाने के लिए ये फैसला किया , ये वो दौर था जब रात को भी अगर किसी का कोई पंगा हो जाये तो हम निकल जाते थे और आज दोस्त के जीवन के सबसे कठिन घड़ी शादी  मे जाने से पहले 10 बार आँफिस शेड्यूल के बारे मे सोचना पड़ता है , मुझे पता है की वो दौर कभी नही आएगा पर मुझे विश्वास है कि इसे पढ़ने के बाद तुम लोगो का काँल जरुर आएगा
तुम्हारा
दुबे महराज
     
                                     






सोमवार, 22 अगस्त 2011

दिल का दर्द


दिल के दर्द की दवा लेने बाजार को हम गए, दुकान दर्दे दिल को बंद देखा और देखा दो लड़के वहां खड़े होकर रो रहे थे।
हमने पूछा तुम्हें क्या हुआ,कुछ हमें भी बताओं, हो सके तो थोड़ा और रो कर दर्दे गम़ सुनाओं।
जिससे हमारें आंखो में भी थोड़ा आंसू आ सके और तुम्हारा तन्हा दिल एक नया साथी पा सके।
ये सुनते ही वो बिलख-बिलख कर रोने लगे और बचे खुचे आंसू भी खोने लगे । और बोले हम तुम्हें अपनी हालत कैसे बताऐं जो हमारें साथ हो चुका उसे कैसे सुनाऐं।
फिर भी तुम जिद करते हो तो हम सुनाते है और तुमको अपना जख्मी सीना चीर कर दिखाते है।
हम एक लड़की से बहुत प्यार करते थे क्या बताऐं घर वालों से ज्य़ादा उस पर मरते थे।
हम सोचते थे कि वो भी हमसे प्य़ार करती थी छत पर खड़े होकर दीदार-ए-यार करती थी, पर ये एक धोखा था वह मुझे नहीं मेरे दोस्त को देखकर खुश हुआ करती थी।
यही पता चलने पर हमनें उससे कहा ये हमारी कमजोरी है हम अपनों से ही डरते है हम खुद ही नहीं जानते क्यों हम तुम पर मरते है दुनियां से न हम कभी डरे और न ही आज डरते है, खुदा कि कसम हम तुमसे बहुत प्यार करते है।
इस पर उसने हमसे कहा कि दर्दे दिल के इलाज की जरुरत है जिससें तुम आगे जी  सको और मुझसे बिछडने का गम पी सको ये सुनते ही हम इस दुकान की ओर दौड़े ,और इस दुकान को बंद देखकर जोर-जोर से रो पड़े अब आप ही बताईयें क्या इसमें हमारा कोई दोष है?
हमने कहा इसमें तुम्हारी कुछ नहीं गलती है लड़कीयां इसी तरह दिल को घायल करती है और फिर मलहम आकर मलती है।
ये सुनते ही उसने रोना थोड़ा कम किया और हमें भी अपने में से थोड़ा सा गम दिया हम घर आकर थोड़ा सा परेशान थे उन बालको कि इस दशा पर बडे हैरान थे फिर हमने सोचा कि शायद वे ही लड़कियों की बेवफाई से अंजान थे।

पागलपन



बचपन की बीमारी अब तक मेरा पीछा नही छोड़ रही है कल भी मुझे मेरी मैथ्स टीचर से प्यार था और आज भी मेरा दिल एक मैथ्स टीचर पर ही आया है, बस अंतर है तो उन १० सालों का जो इन्हे खोजने मे गुज़र गये । बचपन मे जब मेरी पसंदीदा मैथ्स टीचर मुझे सबसे ज्यादा नपंसद सबजेक्ट मैथ्स पढा़या करती थी तो मैं न चाहते हुऐ भी उसकी क्लास अटेंड कर लिया करता था । सामान्य सी शक्ल सूरत वाली मेरी टीचर असामान्य सी मैथ्स की किताब लेकर जब कक्षा मे प्रवेश करती थी तो मेरी बांछे खिल जाती थी क्यूँ की उनकी अदाओं पे मैं उसी तरह फिदा था जैसे आज मुन्नी और शीला पर पूरा देश ।
 
जब वो पढ़ाती थी तो मुझे ऐसा लगता था मानो पूरा ज्ञान ईश्वर ने इन्हे ही दे दिया हो और हमें तो केवल इनकी शरण मे इसलिए भेज दिया है की हम इनके सम्मान मे लेख और कविताएं लिख सके , जब वो पलट कर अपने चश्मे को नाक से उपर चढ़ाते हुऐ जुल्फों पे हाथ फेरते हुऐ मुझे देखकर कहती थी की " बेटा , तेरा ध्यान आज फिर पढ़ाई मे नही है और मुझे नही लगता की तू इस साल पास होगा  " तो दबे स्वर मे मेरे मुँह से अनायास ही निकल जाता है की " कौन कमबख्त पास होना चाहता है मै तो जन्म - जन्मांतर तक आपकी क्लास मे बैठना चाहता हूँ ", पर मैं केवल मुस्कुरा कर चुप रह जाता था पर शायद धीरे-धीरे ही सही वो समझने लगी थी की ये शायद क्लास के बाकी स्टूडेंटस से थोड़ा हटकर है क्यूँ की उनकी क्लास मे कभी न पढ़ने वाला ये बच्चा टेस्ट मे पूरे मे पूरा मार्क्स लाता कैसे है , ये गुत्थी उनके लिए वैसी ही थी जैसे मेरे लिए ये गुत्थी की इनमे ऐसा क्या है जो मुझे इनकी ओर खिंचता है । कभी-कभी क्लास मे उनसे मिलने  मेरे एक सर आया करते थे और वो जब मुस्कुराकर उनसे बात करती थी तो कसम से मेरे दिल पर साँप लोटने लगते थे और मैं शाम होते तक उनसे बदला ले लिया करता था कभी उनकी गाड़ी के सीट पर ब्लेड चला कर तो कभी बाथरुम की दीवारों पर उनके नाम के साथ मेरी सबसे नापसंद टीचर का नाम लिख कर , कई बार पकड़ा भी गया और सजा भी मिली पर मै इसे भी प्यार का तोहफ़ा समझकर कबूल कर लेता था , धीरे-धीरे क्लास की लड़कियों को भी पता चल गया की हमारी ओर कभी न निहारने वाला लड़का मैथ्स की टीचर के प्यार मे कहानी कविताएँ लिख रहा है और ये कही न कही उनके ईगो को हर्ट कर रहा था की क्लास का एक लड़का १६-१७ साल की कमसिन लड़कियों को छोड़कर २२-२३ साल की मैडम के पीछे दीवाना है और सालियों ने मिलकर मेरे LOVE का THE END कर दिया ।
मैडम को जब इस बात की पुख्ता जानकारी हुई तो उन्होनें बुला कर समझाया की जिसे तुम प्यार समझ रहे हो वो AFFECTION से बढ़कर कुछ  नही है और कहा  BY THE WAY ,  WHAT DO U KNOW ABOUT THE LOVE ?


 I REPLIED " ACTUALLY MADAM , I DON'T KNOW MUCH MORE ABOUT THE LOVE BUT I THINK IT'S

THE MAGIC OF LOVE THAT I DON'T LIKE MATHS BUT I TOOK MATHS SUBJECT INSTEAD OF

COMMERCE & BIO , I NEVER STUDY & CONCENTRATE ON YOUR CLASS IT'S TRUE BUT THE

FACT IS TO IMPRESS YOU I STUDY IT IN MY HOME MORE THAN OTHER SUBJECT , I DON'T DO

THIS HERE BECAUSE I KNOW THIS IS MY LAST YEAR & AFTER THAT I'LL NEVER SEE YOU SO I

 DON'T WANT TO MISS THIS GOLDEN OPPORTUNITY FOR JUST A MOMENT.


MAM, MAY BE IT'S JUST AFFECTION BUT THE FACT IS IT'S COURAGE ME FOR GOING AHEAD ,

SO PLEASE DON'T STOP ME .

BECAUSE  I'LL LIKE YOU TILL MY LAST BREATH .

ये जवाब मैं उन्हे देना चाहता था पर मुस्कुरा कर चुप रह गया पर शायद उन्होने मेरी आंखे पढ़ ली थी वरना यूं " मेरा बच्चा " कहकर मेरे माथे को चुमा न होता , मैने वो समझ लिया था जो मैं समझना चाहता था और उन्होने वो समझा दिया था जो वो समझा कर आगे बढ़ जाना चाहती थी ।